तूने नफ़रत से जो देखा है तो याद आया, कितने रिश्ते तेरी ख़ातिर यूँ ही तोड़ आया हूँ, कितने धुंधले हैं ये चेहरे जिन्हें अपनाया है, कितनी उजली थी वो आँखें जिन्हें छोड़ आया हूँ.
एक दिन बाद बहू को आया याद अरे कल था ससुरजी का श्राद्ध आधुनिका बहू ने क्या किया डोमिनोस को फोन किया और एक पिज़ा पंडितजी के यहाँ भिजवादिया ब्राहमण भोजन का ये मोडर्न स्टाइल था दक्षिणा के नाम पर कोक मोबाइल था रातससुरजी सपने में आये थोड़े से मुस्कराए बोले शुक्रिया मरने के बाद ही सही, याद तो किया पिज़ा अच्छा था, भले ही लेट आया मैंने मेनका और रम्भा के साथ खाया उन्हें भी पसंद आया बहू बोली, अच्छा तो आप अप्सराओं के साथ खेल रहे है और हम यहाँ कितनी मुसीबतें झेल रहे है महगाई का दोर बड़ता ही जाता है पिज़ा भी चार सो रुपयों में आता है ससुरजी बोले हमें सब खबर है भले ही दूर बैठें है लेट हो जाने पर डोमिनो वाले भी पिज़ा फ्री में देते है!!
Jeene ki usne hume nayi ada di H Khush rehne ki usne dua di H Aye Khuda usko sara jaha dena Jisne apne dil me hume jagah di H
टीचर: जिसको सुनाई नहीँ देता उसको क्या कहेँगे ? शिष्य: कुछ भी कह दो साले को! कौनसा सुनाई देता है!!